नई दिल्ली। मुगलों ने अपने शासन काल में कई ऐतिहासिक इमारतों को निर्माण कराया जो आज पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इस सबसे परे आज हम आपको आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के ग्रीष्मकालीन महल के बारे में बता रहे हैं जो अब एक खंडहर के रूप में बदल गया है और धीरे-धीरे जमींदोज हो रहा है।

आज की दक्षिणी दिल्ली में स्थित महरौली में स्थित इस ग्रीष्मकालीन जफर महल को 1820 में शाहजहां के पोते अकबर शाह द्वितीय ने बनवाया था, लेकिन इसका जीर्णोद्धार बहादुर शाह जफर ने 19वीं सदी में कराया था। साथ ही आखिरी मुगल बादशाह ने महल के बाहरी भाग में एक आलीशान दरवाजे का भी निर्माण करते हुए इसका भव्य विस्तार कराया था।  

अब यह महल रखरखाव न होने के चलते खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। बीते सालों में इसका मुख्य प्रवेश द्वार पर रखा एक बड़े पत्थर का स्लैब गिर गया और गेटवे की छत से कई स्लैब वक्त के साथ ढह गए हैं। साथ ही प्रवेश द्वार के हिस्से पर लगे संगमरमर के फुल की आकृतियां और महल पर बनी विभिन्न नक्काशियां भी वक्त के साथ टूट गई हैं।

इतिहासकार बताते हैं कि यह जफर महल का दृश्य बहादुर शाह जफर के वक्त पर बेहद विहंगम दिखा था, लेकिन आज उतना ही डरावना दिखने लगा है, क्योंकि अब महल के अंदरूनी हिस्सा एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में है, जिसका प्लास्टर उखड़ रहा है, छतें टूटी हुई हैं।

कभी चाक चौबंद व्यवस्था से घिरा यह महल आज शराब पीने वाले और जुआ खेलने वालों का अड्डा बन गया है। हालांकि, महल के गेट पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन यह लोग फिर से अंदर पहुंच जाते हैं। वहीं, महल के आस-पास रहने वाले लोगों अपने परिवार के साथ कभी-कभार महल परिसर में घूमने जाते हैं।