वाराणसी। वाराणसी  स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का प्रकरण कोर्ट के हवाले है। दोनों पक्षो  को भरोसा है कि  शीघ्र ही कोई न कोई समाधान  सामने आएगा।  ज्ञानवापी परिसर स्थित वजू खाना का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(ए एस आई ) से सर्वे करने की मांग को लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका पर हाईकोर्ट ने याचि की अधिवक्ता को पूर्व में हुए सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है । मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की  पीठ नें  मंगलवार को राखी सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर  सुनवाई  हुई। याची के अधिवक्ता सौरभ तिवारी नें पुरा हलफनामा  दाखिल किया। मुस्लिम पक्ष ने भी जवाबी हालकनामा दाखिल किया। इससे पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने याचि की अधिवक्ता से सहवादिनी   लक्ष्मी देवी एवं अन्य  की ओर से वाराणसी की अदालत में शिवलिंग जैसी आकृति के ए एस आई  सर्वे की मांग वाली याचिका प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। 
     मंदिर पक्ष का कहना है ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक चरित्र के निर्धारण के लिए शिवलिंग के आसपास के क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वे आवश्यक है। उनका कहना था कि एएसआई ने 24 जुलाई से लेकर के 2 नवंबर 2023 तक जो वैज्ञानिक सर्वे किया था, उसमें शिवलिंग जैसी आकृति के आसपास का क्षेत्र (वजूखाना) शामिल नहीं है। हाई कोर्ट ने याचि  की अधिवक्ता से पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वे संबंधी हाईकोर्ट के  आदेश पर रोक  रोक लगाई है तो यह  कोर्ट कैसे आदेश दे सकता है। 
    अधिवक्ता सौरभ  तिवारी के अनुसार राखी सिंह की  वर्तमान पुनरीक्षण याचिका शिवलिंग छोड़कर बाकी क्षेत्र के ए एस आई से  वैज्ञानिक सर्वे को लेकर के है,और लक्ष्मी देवी के प्रार्थना पत्र से अलग है। राखी सिंह की पुनर्नरिक्षण याचिका में   वजू खाने के सर्वे की मांग वाली अर्जी वाराणसी जिला जज  के खारिज किए जाने को चुनौती दी गई है।
      ज्ञातव्य है कि विगत वर्ष ज्ञानवापी परिसर में ए एस आई द्वारा किये गये जाँच एवं सर्वे में शिवलिंग के आकृति की भांति कोई आकृति मिली थी जिसे लेकर देश भर में हो - हल्ला हुआ था और बाद में यह मामला वाराणसी न्यायालय में आया और अब विचाराधीन है।