नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार आठवीं बार रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का विकल्प चुना, जो कटौती की कुछ उम्मीदों से अधिक है। हालांकि, यह निर्णय सर्वसम्मति से नहीं लिया गया, क्योंकि दो सदस्यों ने 25 आधार अंकों की कटौती का समर्थन किया। एसबीआई रिसर्च ने वित्त वर्ष 24-25 की दूसरी छमाही में दरों में कटौती की उम्मीद जताई है। एसबीआई रिसर्च ने नीति-पश्चात रिपोर्ट में भविष्यवाणी की है कि आरबीआई अगस्त में फिर से दरों को स्थिर रखेगा। इसके साथ वित्त वर्ष 24-25 की दूसरी छमाही में अपने रुख का संभावित रूप से पुनर्मूल्यांकन करेगा। रिपोर्ट में अक्टूबर 2024 में पहली रेपो दर में कटौती का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट बताती है कि जून में नीतिगत निर्णय आरबीआई द्वारा सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो संभवतः हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तन से प्रभावित है। जबकि नीति दिशा काफी हद तक अपरिवर्तित बनी हुई है। आरबीआई समायोजन करने से पहले नई सरकार के आर्थिक कदमों का अवलोकन कर सकता है। आरबीआई मुद्रास्फीति को 4 फीसदी के अपने लक्ष्य के करीब लाने को प्राथमिकता देना जारी रखता है। इसने वित्त वर्ष 24-25 के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 4.5 फीसदी पर बनाए रखा। खाद्य मुद्रास्फीति एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है, जिसमें अस्थिर कच्चे तेल की कीमतों, वित्तीय बाजारों और बढ़ती गैर-ऊर्जा वस्तुओं की कीमतों से संभावित जोखिम हैं।