लोकसभा चुनाव के मतदान के बीच ओडिशा के मलकानगिरी जिले के चित्रकोंडा ब्लॉक में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। कई वर्षों के बाद यहां के स्थानीय लोग मतदान करने वाले हैं। दरअसल, एक समय ऐसा था जब यह वामपंथ नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था, लेकिन समय के साथ-साथ स्थिति में सुधार हुआ। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थितियां कितनी तेजी से बदली हैं, यह इस बात से ही साफ है कि जहां कभी बीएसएफ के कैम्प्स में वोटिंग के इंतजाम किए जाते थे, वहां अब प्रखंडों में यह व्यवस्था की जाती है।

लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए स्वाभिमान अंचल के नौ ग्रााम पंचायतों के गांवों में तीस नए मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। क्षेत्र में 13 मई को मतदान होने वाला है। मतदान को लेकर क्षेत्र में खुशी का माहौल है। पहली बार मतदान करने वाले काफी ज्यादा उत्साहित हैं। स्वाभिमान क्षेत्र में एक दशक के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब यहां के लोग बिना किसी डर के अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 

क्षेत्र में पहले मतदान सामग्री को हेलीकॉप्टरों के जरिए ले जाया जाता था और बीएसएफ शिविरों के पास कड़ी सुरक्षा में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को पहुंचाया जाता था। 2019 के लोकसभा चुनाव में कम से कम 12 मतदान कंद्रों पर शून्य मतदान दर्ज किया गया था। नक्सलियों ने यहां मतदाताओं को धमकी दी थी, जिसके डर से स्थानीय लोगों को चुनाव का बहिष्कार करना पड़ा था। इससे पहले 2014 में नक्सलियों ने कुछ मतदान केंद्रों पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद वहां दोबारा मतदान कराया गया। हालांकि, नक्सलियों के डर से कई लोग दोबारा मतदान के लिए नहीं गए।