नई दिल्ली । बारिश शुरू होने के साथ ही भारत में सांप कटने के मामले बढ़ जाते हैं। लेकिन अभी आया एक केस बिल्कुल अलग है, जहां एक ही युवक को लगातार सात बार सांप कट चुका। इस बार उसकी स्थिति गंभीर है। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई सहित कई देश हैं, जहां सांपों की सबसे जहरीली प्रजातियां होने के बाद भी वहां के लोगों को कम नुकसान होता है। दरअसल ऑस्ट्रेलियाई सहित कई देशों में लोग तैयार रहते हैं कि सांप काट ले तब पहले एंटीवेनम दवा लें, तब फटाफट अस्पताल जाएं। 
इस देश को पूरी दुनिया में जीव-जंतुओं के मामले में सबसे खतरनाक माना जाता है। यहां मगरमच्छों से लेकर जहरीली मकड़ियां और सबसे ज्यादा जहरीले सांप भी हैं। इसके वैसे कई कारण हैं, जैसे ऑस्ट्रेलियाई लोगों को पता है कि कहां जाना टालना है, या फिर सांप से मुठभेड़ हो ही जाए तब भागने या सांप को मारने की बजाए दम साधकर खड़ा हो जाना है। इसके अलावा एक कारण और भी है, जो सांप के कटने के बावजूद यहां के लोगों को नुकसान नहीं पहुंचता। 
बता दें कि सांप का जहर जिस अंग में फैलता है, उसे भी बेकार कर देता है, जबकि कई सांपों का विष इंटरनली ही असर करता और मौत देता है, अगर सही वक्त पर इलाज न मिले। 
भारत में सालाना 58 हजार लोग सांपों के काटने से मरते हैं। हमारे यहां मौजूद सांपों के जहर से बचने के दवाएं भी उतनी असरदार नहीं। लेकिन इससे भी ज्यादा बड़ी बात है कि कई घंटों तक पीड़ित घरेलू इलाज में ही पड़ा रहा जाता है। 

क्या हैं एंटीवेनम दवाएं 


सांप के काटने पर एंटीवेनम दिया जाता है। ये रूल पूरी दुनिया में एक समान है। दवा अपने-आप में कई तरह के जहर का मिश्रण होती है जो सांप के जहर को बेअसर कर देती है। ऑस्ट्रेलिया में यह अलग तरह से बनती है। सांपों की मौजूदगी इस देश में इतनी कॉमन है कि लगभग सभी लोग अपने घर पर फर्स्टएड बॉक्स में ही एंटीडोट रखते हैं। इसकी उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है कि सांप काटने पर कैसे तुरंत दवा लेकर अस्पताल पहुंचे।  
एंटीवेनम देने के बाद सांप के जहर का असर खत्म होने लगता है, लेकिन शरीर में एलर्जिक रिएक्शन पैदा हो सकता है। ये बेहद गंभीर, जानलेवा स्थिति है, जो कुछ ही सेकंड्स या मिनटों में पैदा हो सकती है। यही वजह है कि सांप काटने पर एंटीवेनम के बाद भी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। 
कई देश एंटीवेनम का उत्पादन करते हैं। इसमें ऑस्ट्रेलिया के साथ ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, वेनेजुएला और अर्जेंटिना भी शामिल हैं। हमारे यहां भी सांप के जहर की काट बनाने का काम कई फार्मास्युटिकल लैब करते आए हैं।ये एंटीडोट सांपों के जहर से ही बने होते हैं। 
एंटीवेनम रखते हुए कई सावधानियां रखनी होती हैं, जैसे एक खास तापमान पर और बिल्कुल साफ-सूखे स्थान पर ही दवा रखी जा सकती है। इसकी एक्सपायरी डेट भी होती है।
ऑस्ट्रेलिया में इसके लिए ट्रेनिंग भी मिलती है। लेकिन भारत में ये सुविधा शायद न मिल सके। यही वजह है कि एंटीवेनम घर पर कम ही लोग रखते है। सांप काटने पर एक खुराक से काम नहीं चलता। कई बार ज्यादा जहरीली बाइट पर दवाओं की कई शीशियां लग जाती हैं। अस्पताल में इसपर नजर रखना आसान है। 

सांप काटने पर तुरंत क्या करें, क्या नहीं


1.सांप काटने पर प्रभावित जगह को चूसने से असर कम नहीं होता, बल्कि ये करना और घातक हो सकता है।  
2.घाव के आसपास तुरंत मार्क कर दें ताकि अस्पताल में डॉक्टर सूजन देख सके। 
3.काटी हुई जगह पर न पानी लगाएं, न बर्फ की या किसी गर्म चीज से सेंक दें। 
4.दर्द की कोई भी दवा लिए बगैर सीधे इमरजेंसी पहुंचे।  
5.जिस हिस्से में सांप ने काटा हुआ हो, उसकी मूवमेंट कम कर दें ताकि असर आगे न बढ़े। 
6.काटी हुई जगह के आसपास कपड़ा न बांधें। इससे खून का फ्लो कम होने पर अंग काटने की नौबत आ सकती है।