दिल्ली नगर निगम की सियासत में भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) में घमासान जारी है। इसको लेकर दो मामले कोर्ट में लंबित हैं। अब आगे सियासत क्या मोड़ लेगी, यह तो भविष्य के गर्भ में ही छिपा है, लेकिन 26 अप्रैल को होने वाले मेयर चुनाव को लेकर भाजपा असमंजस में है।भाजपा मेयर और उप मेयर पद पर प्रत्याशी उतारेगी या नहीं, इसको लेकर असमंजस है। चूंकि सोमवार और मंगलवार को ही मेयर व उप मेयर पद पर नामांकन किए जा सकते हैं। ऐसे में अब तक इस पर आखिरी निर्णय न लिए जाने पर भाजपा की नीति स्पष्ट नहीं हो रही है।

दिल्ली नगर निगम चुनाव में 250 सीटों में भाजपा को 104 सीटों पर ही विजय मिली थी, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को 134 सीटें मिली थी। बाद में दो पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे भाजपा पार्षदों की संख्या 106 हो गई थी। इसके बावजूद फरवरी में हुए मेयर और उपमेयर चुनाव के लिए भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे।अभी तक तय नहीं हुआ है नेता प्रतिपक्ष मेयर और उप मेयर चुनाव में हारने के बाद भी विपक्ष में बैठी भाजपा अभी तक नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पाई है। हालांकि अभी तक वरिष्ठ पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा राय भाजपा पार्षदों का नेतृत्व करतीं हैं। नेता प्रतिपक्ष तय न होने की वजह बजट बैठक में नेता सदन मुकेश गोयल ने भी चुटकी भी ली थी कि वह किसे नेता प्रतिपक्ष के रूप पर संबोधित करें, क्योंकि अभी भाजपा ने यह तय ही नहीं किया है।